कुछ चीज़े सिखाई नहीं जाती,
अपने आप आजाती हैं।
ख़ामोश ज़ुबान के लफ्ज़,
आंखे निकाल लाती हैं।
दिल खुदा का वो मेहेर है,
जो कहीं लग जाए तो केहेर ढा देता है।
प्यार तो दिल की आंख मी चोली है।
दिमाग को इससे बेखबर रखना चाहिए।
दिमाग इससे वाकिफ हो गया,
तो दिल को संभालने में वक्त नहीं लगना चाहिए।
प्यार वो नहीं जिनका तीन लफ्जों से इज़हार हो जाए।
प्यार वो हैं जो किसी और के चेहरे की मुस्कान आपके होटों पे ले आए।
प्यार खुदा की वो दुआ हैं
जो कभी हो जाए तो खुदा को भी नीचे खींच लाता है।
Nice...!
ReplyDelete